दशहरे के त्योहार को विजयदशमी भी कहा जाता है। यह आज के समय में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। बुराई कोई भी रूप ले सकती है, जैसे असत्य, बदला, ईर्ष्या, शोक, आलस्य आदि। किसी भी आंतरिक बुराई को दूर करना भी आत्म-विजय है और हम अपने आस-पास की ऐसी बुराई को दूर करें और इसे हर साल विजयदशमी त्योहार के रूप में मनाएं, ताकि एक दिन आप सभी इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर सकें। आइए हम दशहरा को बुरे आचरण पर अच्छे आचरण की जीत के साथ मनाएं। दशहरा आमतौर पर विजय उत्सव के रूप में मनाया जाता है। उत्सव को लेकर हर किसी की आस्था अलग होती है। किसानों के लिए यह नई फसलों के आगमन का उत्सव है। प्राचीन काल में इस दिन औजारों और शस्त्रों की पूजा की जाती थी, क्योंकि वे युद्ध में विजय के प्रतीक थे, लेकिन इन सबका मुख्य कारण अचै की बुराई पर विजय है। किसानों के लिए इस श्रम के फल के रूप में फसल उगाने की खुशी और सैनिकों के लिए युद्ध में दुश्मन पर जीत की खुशी यानी विजयादशमी। कुछ परिवारों में इस दिन दशहरे का प्रसाद चढ़ाया जाता है। भावनगर के श्रीधर पंचांग के ज्योतिषी किशन गिरीशभाई जोशी के अनुसार दशहरा के दिन वाहन खरीदने का शुभ मुहूर्त और शास्त्रपूजन व वाहनपूजन का...
भगवान श्रीराम अश्विन शुक्ल दशमी ने लंका के राजा रावण का वध किया, जिसने उसकी पत्नी सीता का अपहरण किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, दशमी को एक भयंकर युद्ध के बाद रावण की मृत्यु हो गई और श्री राम ने लंका पर विजय प्राप्त की, इसलिए इस दिन को विजयदशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाता है। वहीं मां दुर्गा ने 10 दिनों तक महिषासुर से भीषण युद्ध किया और अश्विन शुक्ल दशमी को उनका वध हुआ। इसलिए भी इसे विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है। ये दोनों बुराई पर अच्छाई और अन्याय पर धर्म की जीत का प्रतीक हैं।
शास्त्र पूजा कैसे की जाती है?
मान्यता के अनुसार दशहरा के दिन शास्त्र पूजा की परंपरा है। इस दिन पूजा के लिए हथियारों को इकट्ठा किया जाता है और उन पर गंगा जल छिड़क कर शुद्ध किया जाता है। फिर हलदल, कंकू, चावल से इसकी पूजा की जाती है। शमी के पत्तों का उपयोग शास्त्र पूजा में भी किया जाता है, इसलिए इस दिन शमी के पेड़ की भी पूजा की जाती है।
दशहरा पूजा कैसे की जाती है?
सुबह की दिनचर्या पूरी करने के बाद मां दुर्गा की पूजा करें। 9वीं विजयादशमी को विश्राम और नवरात्रि के पराना करें। प्रात: ईशान कोण में भूमि को गंगाजल से साफ करें और चंदन, कंकू और अष्टदल कमल से पूजा करें।शमी वृक्ष की पूजा करें, उसकी परिक्रमा करें, फिर शमी वृक्ष से कुछ मिट्टी लेकर घर में रखें, सभी प्रकार के उपाय नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। शमी की पूजा करने से दीर्घायु, स्वास्थ्य और शक्ति बढ़ती है और पापों का नाश होता है।
दशहरा के दिन ही क्यों की जाती है वाहन खरीद?
दशहरा का अर्थ है विजयदशमी। शास्त्रों में विजयादशमी को एक शुभ अवसर माना गया है। ऐसे शुभ दिन पर वाहन खरीदना शुभ माना जाता है। इस दिन खरीदे गए वाहन शुभ होते हैं।
दीपावली बस 20 दिन दूर है। थोड़ी रात है, वेश जाजा !! भक्त विभिन्न नियमों के अनुसार नवरात्रि का पालन करते हैं। मंदी के हालात बढ़ते जा रहे हैं और सभी को इस बात की चिंता सता रही है कि दिवाली कैसे मनाएं? 2079 को अधिक लाभकारी, सफल और शुभ बनाने के शुभ क्षण निम्नलिखित हैं। शुभ मुहूर्त में व्यापारी वर्ग बनाम. वर्ष 2079 की पुस्तकों का पंजीयन एवं क्रय भी करेंगे। शगुन की पुस्तक खरीदने के लिए जाने से पहले व्यापारी को सफलता के दाता गणेश को घी का दीपक जलाना चाहिए, शगुन खाने के बाद पुस्तक का आदेश देना चाहिए या पुस्तक खरीदने के लिए जाना चाहिए। व्यवसायी इस वर्ष नूतनवर्षा, लाभ पंचम और सतमे शुभ मुहूर्त में शुभ चौघड़िया में पीढ़ी मुहूर्त करेंगे। पुस्तकें दर्ज करने, पुस्तकें खरीदने, शस्त्र पूजन और वाहनों की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त निम्नलिखित हैं। शमी, शास्त्र, घोड़े और वाहन आदि की पूजा के लिए एक उत्कृष्ट दिन और पुस्तकों के पंजीकरण या खरीद या कोई नया काम शुरू करने के लिए एक उत्कृष्ट दिन को नए साल की किताबें खरीदने का सबसे अच्छा समय कहा जा सकता है।
- તા.21/10/2022 શુક્રવાર આસો વદ 11 રમાએ એકાદશી, વાઘબારશ
- તા. 22/10/2022 શનિવારે આસો વદ 13એ ધનતેરસ વારે 08.04થી ધન્વંતરિજયંતી, દીપદાન, ધનપૂજા, ધનપૂજા શ્રીયંત્રપૂજા ચોપડા ખરીદવા કે લાવવા ગાદી બિછાવવાનું શુભ મુહૂર્ત
- તા.23/10/2022 રવિવાર આસો વદ 14એ કાળી ચૌદસ રૂપ નરક શ્રીહનુમાનજીની પૂજા દીપદાન કાળભૈરવપૂજા નૈવેદ્ય દિન
આ સંપૂર્ણ લેખની માહિતી ભાવનગરના શ્રીધર પંચાંગવાળા જ્યોતિષાચાર્ય કિશન ગિરીશભાઈ જોશી દ્વારા આપવામાં આવી છે.
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